Though the former is reality, I choose to live by the latter.
Sunday, October 20, 2013
गुप्ता जी, आज खुश हैं
गर्म चाय और कड़क बिस्कुट लिए
बरामदे की ठंडी हवा में खड़े
बंद आँखों से मंद मंद मुस्कुराते
गुप्ता जी
पुरानी यादों के बीच कहीं खोए हुए हैं
छोड़ो कल की बातें
इस दौड़ से ज़रा परे हट कर
वो आज, यहाँ, इस लम्हे के होए हुए हैं
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